Thursday, November 21, 2024
HomeNIBANDHMera Bharat Mahan Essay in Hindi | मेरा भारत महान निबंध |...

Mera Bharat Mahan Essay in Hindi | मेरा भारत महान निबंध | My India is Great in Hindi

Mera Bharat Mahan Essay in Hindi : भारत एक ऐसा देश है जहां अनेक महान पुरुषों ने जन्म लिया है हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जिसे हर एक नागरिक मेरा भारत महान बोलने से नहीं रुकता है । यह एक ऐसा देश है जहां नदियों को माँ कहते है यहां अनेक धर्म के लोग मिल जल के रहते है इसलिए भारत के लोग अपने आप में गर्व महसूस करते है । भारत में स्वर्णकाल लाने वाले गुप्त सम्राटों की कलाकृतियों पर किसे गर्व नहीं होगा।

आठवीं शताब्दी से भारत पर यवनों के आक्रमण होने आरंभ हो गए थे। तेरहवीं शताब्दी तक दिल्ली उनकी तलवार के नीचे आ गई। मुगलों के आगमन के साथ दो विभिन्न संस्कृतियों का मेल हुआ। व्यापारी बनकर आए अंग्रेज छल-बल से भारत विके नीचे आ गई। मुगलों के आग और संस्कृति से देश का पाला पड़ा। पाश्चात्य शिक्षा पद्धति का प्रचलन हुआ।

Mera Bharat Mahan Essay in Hindi

मेरा भारत महान निबंध 150 शब्दों | Mera Bharat Mahan Essay in Hindi

भारत संसार का शिरोमणि देश है। हिंद महासागर की भयानक लहरें। इनके प्राचीन सभ्यता और संस्कृति वाला यह देश अद्भुत देश है भारतवर्ष। उत्तर मैं हैं गगनचुंबी हिमालय की चोटियाँ और दक्षिण में गरजते बीच 3200 किलोमीटर लंबी विभिन्नताओं और आकर्षण से भरपूर भारत भूमि। अजयन संसार में विचित्र है। इसी भारतभूमि की महानता में महाकवि इकबाल कह उठे- यूनान मिस्त्र, रोमां सब मिट गये जहाँ से, लेकिन अभी है बाकी नामोनिशां हमारा। बहुत ही आकर्षक देश है भारत। यह देखने और सुनने में जितना आकर्षक है, उससे भी अधिक है विभिन्न विचित्रताओं से पूर्ण।

यह एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें 100 करोड़ जनसंख्या भाँति-भाँति की वेश भूषाओं, विभिन्न रीति रिवाजों से सम्पन्न है। इस विभिन्नताओं में छिपी हुई अभिन्नता और भी अद्भुत है। पुरातनता का सर्वश्रेष्ठ और जीवंत स्वरुप देखना हो तो भारत का व्यापक भ्रमण कीजिए। सभ्यता और संस्कृति का प्रथम सूर्योदय यहीं हुआ था। गुजरात और राजस्थान के भग्नावशेष, मिस्त्र और सुमर सभ्यताओं को भी पीछे छोड़ देते हैं।

Mera Bharat Mahan Nibandh 250 Words | Mera Bharat Mahan Essay

250 Words

भारत देश की परम्पराएं भी अद्भुत रही हैं। इस देश में विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों का समन्वय और संगम हुआ है। यहाँ की संस्कृति संसार में बेजोड़ हैं। यहाँ की पुरातनता में भी नवीनत की जीवंतता है और नवीनता में पुरातनता की पृष्ठभूमि। मंदिरों में हजारों वर्ष पूर्व की गई नक्काशी आज भी ऐसी लगती है, जैसे कल ही बनाई गई हो। इस देश की संस्कृति और जीवन पद्धति में सो का आश्चर्यजनक मिश्रण है। एक उच्चकोटि की सभ्यता और संस्कृति के साथ अनेक सभ्यताओं और परिवर्तनों का टकराव हुआ है। जीवन के उतार चढ़ाव देखे हैं इस महान् राष्ट्र ने लेकिन सबको आत्मसात् किया इस देश की परम्परा ने।

इतिहास साक्षी है कि इस महान धरा की संस्कृति ने अनेक संस्कृतियों को आत्मसात किया है। इस देश की संस्कृति की आदिम धारा आज भी सूखी नहीं है। जिस तरह गंगा में अनेक नदियाँ आकर मिली हैं और मिलकर गंगा बन गई हैं, उसी प्रकार इस देश की संस्कृति रूपी गंगा में शक, हूण, कुषाण आदि न जाने कितनी संस्कृतियाँ और जातियाँ आईं और इस देश की संस्कृति में घुल-मिल कर एकरूप हो गई। सब वैदिक धर्म और दर्शन के रंग में रंग गई। कितना महान् है भारतीयता का स्वरूप-यहाँ के काव्य और दर्शन में उसी का प्रतिरूप है। महान् मनीषियों ने यहाँ साधना की है। मुनियों के तत्व चिंतन और उपदेशों ने प्राणवान बनाया है इस देश को।

Mera Bharat Mahan Nibandh 500 Words | Mera Bharat Mahan Essay

500 Words

इस देश ने विदेशियों के वार और प्रहार भी अनेक बार सहे हैं। छोटे और बड़े अनेक आक्रमण इस देश पर हुए। ई. पू. 326 में यूनानी सम्म्राट सिकंदर यहाँ की धन दौलत और समृद्धि का वरण करने भारत आया था। उसके साथ आई थी यूनान की सभ्यता और संस्कृति, परंतु यूनानी प्रभाव भी भारतीयता का एक अंग बनकर विलीन हो गया इस देश में। यूनानी पर्यटक मेगस्थनीज ने भारतीय संस्कृति और समृद्धि की सराहना अपने यात्रा वर्णन में मुक्त कंठ से की है।

चंद्रगुप्त मौर्य के शासन प्रबंध की सराहना की है। अशोक ने इसी भारत भूमि पर प्यार को तलवार बना लिया था। यहीं से ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ का महामंत्र श्रीलंका, बर्मा, थाईलैंड, कंबोडिया, जावा, सुमात्रा, चीन और जापान तक फैला। भारत में उसके बिखरे हुए स्तंभों, स्मारकों, स्तूपों और शिलालेखों को कौन देखना नहीं चाहेगा। भारतीय जनमानस ने इस नई गुलामी के विरुद्ध विद्रोह किया। बच्चे, बूढ़े और भारत माँ की परतंत्रता की बेडियों को काट गिराने के लिए कटिबद्ध हो गए। नौजवान सर पर कफन बांधे अंग्रेजी हुकूमत के प्त छूट होती तिरुद्ध अपना सर्वस्व लुटाने लगे। अंग्रेजी सत्ता जुल्म ढाने लगी।

अंत में 15 अगस्त, सन् 1947 ई. को देश स्वतंत्र हुआ। महात्मा और न जाने कितनी महान् आत्माओं ने कुर्बानियाँ दीं। 26 जनवरी, सन् आधी, नेहरु, तिलक, लाल, बाल, पाल, भगत सिंह, आजाद 1950 ई. को भारत में गणतंत्रीय संविधान का जन्म हुआ। आर्थिक और सामाजिक न्याय के द्वार सभी के लिए खुले। गुटनिरपेक्षता, बचशील की नीतियों पर चलने वाले इस महान भारत देश पर संसार की निगाहें टिकी हैं, पुनः मार्गदर्शन के लिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments