Thursday, November 21, 2024
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कंप्यूटर क्या है – What is Computer in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम कंप्यूटर के बारे में बात करेंगे क्योंकि आज के समय में कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग होने लगा है आपने देखा भी होगा की सभी कार्यालय होटल, घर और  स्कूल में कंप्यूटर ही उपयोग होता है ऐसे में कंप्यूटर के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है तो आज के इस लेख में हम   कंप्यूटर क्या है ? What is computer in Hindi, इस विषय पर बात करेंगे हमने इस पोस्ट में कम्पूटर  से सम्बंधित सभी टॉपिक को कवर किया है ।

  • विषय सूचि 
  1. What are the Characteristics of Computer in Hindi,
  2. What is Memory in Computer in Hindi,
  3. Computer Memory Unit in Hindi,
  4. Types of Computer Memory in Hindi,
  5. How to Start a Computer in Hindi,
  6. How to shut down computer in HIndi (Computer off Kaise Kare),
  7. Parts of Computer in Hindi ( कंप्यूटर के भाग और उनके कार्य )
  8. What is Computer Language is Hindi(कंप्यूटर भाषा क्या है)
  9. (What is the use of Computer in Hindi) कम्प्यूटर के उपयोग
  10. कम्प्यूटर का वर्गीकरण (CLASSIFICATION OF COMPUTERS IN HINDI)
  11. कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (GENERATIONS OF COMPUTER IN HINDI)
  12. Input Device of Computer In Hindi (इनपुट डिवाइस क्या है)
  13. आउटपुट डिवाइस क्या है (Output Device of Computer in Hindi)

Table of Contents

कंप्यूटर क्या है ?  (What is computer in Hindi)

कम्प्यूटर को संक्षिप्त में com या puter के नाम से भी जाना जाता है। यह अंग्रेजी शब्द Compute से बना है, इसका अविष्कार गणना  करने के लिए हुआ था। पुराने समय में कम्प्यूटर का प्रयोग केवल (Calculation) करने के लिए किया जाता था, किन्तु आजकल इसका प्रयोग डाक्यूमेन्ट बनाने E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे-बैकों में, शैक्षणिक संस्थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में कम्प्यूटर का उपयोग बहुत ही अच्छे रूप से किया जा रहा है, कम्प्यूटर केवल वह काम करता है जो हम उसे करने को कहते हैं

कंप्यूटर क्या है - What is computer in Hindi

यानी केवल वह उन आदेशों (Command) का पालन करता है जो पहले से कम्प्यूटर के अन्दर डाले गए होते हैं। उसके अन्दर सोचने समझने की क्षमता नही होती है। कम्प्यूटर को जो व्यक्ति चलाता है उसे उपभोक्ता (User) कहते हैं और जो व्यक्ति कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम बनाता है उसे प्रोग्रामर कहा जाता है।

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (electronic device) है यह data का input लेता है तथा उसको process करके meaningful output information produce करता है। कम्प्यूटर मे data को store, retrieve, and process करने की क्षमता होती है

What are the Characteristics of Computer in Hindi (कंप्यूटर की विशेषताएँ क्या हैं )

कम्प्यूटर अपनी विशेषताओं के कारण मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। हर व्यक्ति अपने हिसाब से कम्प्यूटर को प्रयोग में लाता है। कम्प्यूटर कुछ ही सेकंड में जोड़ना घटाना, गुणा, भाग, जैसी कई क्रियाएँ कर सकता है। निचे हमने कम्प्यूटर की विशेषताएँ, (What are the Characteristics of Computer in Hindi) के अनेकों विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित पॉइंट पर चर्चा की है:

  • गति : जहाँ आपको एक छोटी सी गणना (Calculation) करने में समय लगता है वहीं कम्प्यूटर बड़ी से बड़ी गणना  सेकेण्ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोसेस प्रदान करता है। कम्प्यूटर की गति हर्ज में मापी जाती है। कम्प्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकण्ड प्रति मिलिसेकण्ड प्रतिमाइक्रो सेकेण्ड प्रति नैनोसेकंड्स इत्यादि में मापी जाती है।
  • सटीकता : त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता के साथ किसी भी काम को पूरा करना कम्प्यूटर की दूसरी विशेषता यह है की कम्प्यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है। कम्प्यूटर हमेशा सही परिणाम देता है। क्योंकि कम्प्यूटर तो हमारे द्वारा बनाए गए प्रोग्राम द्वारा निदिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है। कम्प्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं।
  • स्वचालित : कम्प्यूटर को एक के बाद एक निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नही हो जाता है वह स्वचालित रूप से बिना रुके कार्य करता रहता है। उदाहरण के लिए जब कम्प्यूटर से प्रिंट को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें वह पूरी 100 पेज करने के बाद ही रूकेगा, इन सभी कार्यों को करने के लिए कम्प्यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्हीं के आधार पर उनको पूरा करता है। यह निर्देश कम्प्यूटर को सॉफ्टवेयर/प्रोग्राम देता हैं।
  • स्थायी भंडारण क्षमता : कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएँ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से संग्रहित की जाती हैं। अतः सूचना के समाप्त होने की सम्भावना कम रहती है।
  • विशाल भंडारण क्षमता : कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप, सीडी) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। कम्प्यूटर में कम स्थान घेरते हुए सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
  • भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना : कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रैम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
  • जल्द निर्णय लेने की क्षमता : कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता के आधार पर करता है।
  • विविधता : कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य सम्पन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटर में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
  • पुनरावृति : कम्प्यूटर को आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराए जा सकते हैं।
  • स्फूर्ति : कम्प्यूटर एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान महसूस नहीं होती है और हर बार यह समान क्षमता से कार्य करता है।
  • सुरक्षा : पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख सकता हैं।
  • एकरूपता : बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्त्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

कंप्यूटर मेमोरी क्या है? (What is Memory in Computer in Hindi)

कम्प्यूटर मेमोरी (Computer Memory) मस्तिष्क के समान है, जो पिछले कार्यों को संरक्षित (Store) और याद रखने में सहायता करती है। इंसान अपनी मेमोरी (Memory) में संरक्षित जानकारी को समय के साथ भूल जाता है, लेकिन कम्प्यूटर अपनी मेमोरी (Memory) में संरक्षित जानकारी को वर्षों तक सुरक्षित रखता है। कम्प्यूटर मेमोरी का विशेष महत्व है क्योंकि यदि यह न हो, तो कम्प्यूटर को दिया गया कोई भी डाटा तुरंत खत्म हो जाएगा।

कम्प्यूटर मेमोरी की इकाइयाँ (Computer Memory Unit in Hindi)

  • 8 Bits =            1 Byte
  • 1024 Bytes =    1 Kilo Byte (1KB)
  • 1024 KB =        1 Mega Byte (1MB)
  • 1024 MB =       1 Giga Byte (1GB)
  • 1024 GB =        1 Tera Byte (1TB)
  • 1024 TB =         1 Peta Byte (1PB)
  • 1024 PB =         1 Exabyte (1EB)
  • 1024 EB =         1 Zetabyte (1ZB)
  • 1024 ZB =        1 Yottabyte (1YB)

कम्प्यूटर मेमोरी के प्रकार (Types of Computer Memory in Hindi)

कम्प्यूटर मेमोरी को मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है:

1. इंटरनल या प्राइमरी मेमोरी (Internal or Primary Memory)

यह मेमोरी डेटा, सूचना और प्रोग्राम को कुछ समय के लिए संरक्षित करती है। प्राइमरी मेमोरी का आकार सीमित होता है, जैसे कि कम्प्यूटर में 2 जी.बी. प्राइमरी मेमोरी हो सकती है। इसे दो भागों में विभाजित किया गया है:

(A) रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM): यह अस्थिर (Temporary) मेमोरी है, जो सभी सूचनाओं को अस्थाई रूप से संग्रहीत करती है। यदि कम्प्यूटर की बिजली सप्लाई बंद हो जाती है, तो RAM अपना समस्त डेटा खो देती है। RAM मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

  • स्टैटिक RAM (SRAM)
  • डायनैमिक RAM (DRAM)

(B) रीड ओनली मेमोरी (ROM): इसमें केवल डेटा पढ़ा जा सकता है और यह एक नॉन-वॉलेटाइल मेमोरी है। ROM को फिर तीन भागों में विभाजित किया गया है:

  • प्रोग्रामेबल ROM (PROM)
  • इरेजेबल प्रोग्रामेबल ROM (E-PROM)
  • इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल ROM (EE-PROM)

2. एक्सटर्नल या सैकेंडरी मेमोरी (External Secondary Memory)

यह मेमोरी कम्प्यूटर का भाग नहीं होती, बल्कि इसे सीपीयू (CPU) के बाहर जोड़ा जाता है। इसमें संरक्षित डेटा स्थायी होता है, और कम्प्यूटर बंद होने पर भी यह खत्म नहीं होता। इसकी स्टोरेज क्षमता अधिक होती है, और इसे लम्बे समय तक सुरक्षित डेटा के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ मुख्य सैकेंडरी मेमोरी निम्नलिखित हैं:

(A) फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)
(B) हार्ड डिस्क (Hard Disk)
(C) कॉम्पेक्ट डिस्क (Compact Disk)
(D) मेमोरी कार्ड (Memory Disk)
(E) पेन ड्राइव (Pen Disk)
(F) आप्टिकल डिस्क (Optical Disk)

कम्प्यूटर मेमोरी का ज्ञान न केवल कंप्यूटर के कार्यप्रणाली को समझने में मदद करता है, बल्कि हमें सही प्रकार की मेमोरी का चयन करने में भी सहायता करता है। इसके विभिन्न प्रकारों और उनकी विशेषताओं को जानकर हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं। कम्प्यूटर मेमोरी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि यह हमारे डेटा को सुरक्षित रखने और आवश्यकतानुसार पुनः प्राप्त करने में मदद करती है।

कम्प्यूटर को चालू करने की प्रक्रिया (How to Start a Computer in Hindi)

  1. कम्प्यूटर को चालू करने के लिए आपको  कंप्यूटर के सभी सहायक उपकरण जैसे की-बोर्ड, माउस, प्रिंटर, स्पीकर, और मॉनिटर को सी.पी.यू. में सही जगह पर कनेक्ट करें।
  2. इसके बाद विद्युत प्लग लगाएं 
  3. कम्प्यूटर का प्लग विद्युत सॉकेट में लगाएं और सुनिश्चित करें कि स्विच ऑन है।
  4. सी.पी.यू. का पावर बटन दबाएं
  5. कनेक्शन करने के बाद, सी.पी.यू. पर स्थित पावर बटन को दबाएं। इससे कम्प्यूटर चालू हो जाएगा और बूटिंग की प्रक्रिया शुरू होगी।
  6. पावर बटन दबाने के बाद कम्प्यूटर बूटिंग की प्रक्रिया से गुजरेगा। जब बूटिंग पूरी हो जाएगी, तब विंडोज़ का डेस्कटॉप स्क्रीन पर दिखेगा और आपका कंप्यूटर चालू हो जायेगा .  

How to shut down computer in HIndi (Computer off Kaise Kare)

सबसे पहले ध्यान दे की कम्प्यूटर बंद करने से पहले जिस प्रोग्राम पर आप काम कर रहे हैं, उसे बंद करें। इससे यह रहेगा की  आपका काम सुरक्षित है ।

स्टेप 1 : स्टार्ट बटन पर क्लिक करें

स्टेप 2 : इसके बाद  स्टार्ट मेन्यू खुलेगा।

स्टेप 3 : स्टार्ट मेन्यू से “Shut Down” विकल्प चुनें। स्टार्ट मेन्यू आपको  नीचे दाईं ओर मिलेगा।

स्टेप 4 : Shut Down विकल्प चुनने के बाद OK पर क्लिक करें। अब आपका कम्प्यूटर बंद हो जाएगा।

How to Turn off Computer with Keyboard in Hindi (Keyboard Se Computer Off Kaise Kare)

1. कम्प्यूटर को शॉर्टकट तरीके से जल्दी से बंद करने के लिए  की-बोर्ड से Alt+F4 बटन को एक साथ दबाएं।

2. Alt+F4 दबाने से “Shut Down Window” खुलेगा। यहां से “Shut Down” विकल्प चुनें और Enter दबाएं। आपका कम्प्यूटर बंद हो जाएगा।

Parts of Computer in Hindi ( कंप्यूटर के भाग और उनके कार्य )

विशेषताओं के आधार पर Computer Parts को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है-

1. इनपुट यूनिट (Input Unit)

2. आउटपुट यूनिट (Output Unit)

3. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)

इनपुट यूनिट क्या है (Input unit of Computer)

सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले कंप्यूटर पार्ट्स (Computer  Parts ) की बात करे तो वह  ‘इनपुट डिवाइस’ यानि KEY – Board है। जिसकी मदद से आप कम्प्यूटर पर बड़े आसानी से टाइप कर पाते हैं। Input Device का काफी विकास हो चुका है। इसमें डाटा को टाइप करने की जरुरत नहीं पड़ती है इस प्रकार की कुछ डिवाइसों में माउस, लाइट पेन, ग्राफिक टैबलेट, ट्रैकबॉल और टच स्क्रीन हैं।

यह सभी डिवाइस यूजर को मॉनिटर स्क्रीन पर आवश्यक चीजों को सिर्फ पॉइंट करके सेलेक्ट करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। इसलिए इन इनपुट डिवाइस को Pointing Device भी कहा जाता है आजकल तो इनपुट डिवाइस का काफी उच्च स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है।

यहाँ तक की आपको टाइप करने की आवश्यकता भी नही है केवल बोलने से वॉइस इनपुट रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की सहायता से टाइप कर सकते हैं। यह वह हार्डवेयर डिवाइस होता है जिसके द्वारा हम कम्प्यूटर से कोई भी डाटा या कमाण्ड इनपुट करा सकते हैं।

आउटपुट यूनिट क्या है (Output Unit)

आउटपुट डिवाइस (Output Device) हार्डवेयर (Hardware) का एक अवयव या कम्प्यूटर का एक मुख्य भौतक भाग है जिसे छू कर महसुस किया जा सकता है। कम्प्यूटर प्रायः बाइनरी कोड पर कार्य करते है। इसलिए कम्प्यूटर से प्राप्त होने वाले परिणाम को जो बाइनरी कोड में होते हैं। हमारे लिए उचित संकेतों भाषा तथा चित्रों में बदलकर हमें उपलब्ध कराते हैं जैसे वीडियों डिस्प्ले यूनिट प्रिंटर प्लोटर्स आदि।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) किसी भी कम्प्यूटर का हॉर्ट (Heart) होता है। यह कम्प्यूटर के सभी कार्यों को इकट्ठा तथा संयोजित करके सम्पूर्ण प्रणाली को नियंत्रित करता है। यह कुंजीपटल जैसी विभिन्न इनपुट यूक्तियों द्वारा उसको जारी अनुदेशों की पालन कराता है तथा प्रिन्टर जैसी विभिन्न आउटपुट युक्तियों के लिए आउटपुट को संयोजित करता है। CPU को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जाता है:

  • कंट्रोल यूनिट (Control Unit)
  • अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit)
  • मेन मेमोरी (Main Memory)
  • कंट्रोल यूनिट (Control Unit)
  1. कंट्रोल यूनिट : सम्पूर्ण कम्प्यूटर सिस्टम का प्रबंधन और नियन्त्रण करती है। इस भाग का कार्य सिलेक्ट करना, इंटरप्रेट करना तथा प्रोग्राम निर्देश को निष्पादित करना होता है।
  2. अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit) : सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मुख्य तीन घटकों में से एक है जिसमें मेमोरी यूनिट (Memory Unit) और कंट्रोल यूनिट (Control Unit) भी शामिल हैं। अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट कम्प्यूटर हार्डवेयर में एक डिजिटल सर्किट होता है अंकगणितीय तर्क इकाई (Arithmetic Logic Unit) का मुख्य कार्य होता है अंकगणितीय गणना करना जैसे जोड़ना, घटाना, गुणा करना एवं गणित की तरह और जितने भी कार्य होते हैं वह करना। इसके अलावा तर्क गणना का कार्य करना आदि। इस तरह के तमाम कार्य अंकगणितीय तर्क इकाई (ALU) करती है।
  3. मेन मेमोरी (Main Memory) :यह कम्प्यूटर का वह भाग होता है जिसमें डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित किया जाता है यदि यह भाग न हो तो कम्प्यूटर को दिया गया डाटा तथा निर्देश तुरंत ही नष्ट हो जाएंगे। इसलिए इनपुट यूनिट के द्वारा प्रवेश किए गए डाटा और निर्देशों को वास्तविक प्रोसेसिंग से पहले स्टोर किया जाता है। इस तरह गणना के बाद प्राप्त परिणामों को भी आउटपुट यूनिट को भेजने से पहले स्टोर करना होता है। प्रोसेसिंग के दौरान प्राप्त हुए मध्यवर्ती परिणामों को भी स्टोर करने की आवश्यकता होती है। इसलिए ये सभी कार्य मेमोरी द्वारा किए जाते हैं। तो यह थे  Parts of Computer in Hindi

What is Computer Language is Hindi(कंप्यूटर भाषा क्या है)

कम्प्यूटर की भाषा को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा जा सकता है:

1. मशीनी भाषा

2. असेम्बली भाषा (Assembly Language)

3. उच्च स्तरीय भाषा

  1. मशीनी कुट भाषा (Machine Language) : इस भाषा में प्रत्येक आदेश के दो भाग होते हैं: आदेश कोण तथा स्थिति कोण इन दोनों को 0 और 1 के रूप में व्यक्त करते हैं।
  2. असेम्बली भाषा (Assembly Language): असेम्बली भाषा में निर्देशों को अंग्रेजी के शब्दों के रूप में दिया जाता है। मशीनी भाषा की तुलना में असेम्बली भाषा को समझना आसान होता है। इस भाषा में याद रखने लायक कोड प्रयोग किया जाता है जैसे की – Addition के लिए ADD,Subtraction के लिए SUB तथा JUMP के लिए JMP आदि।
  3. उच्चस्तरीय भाषा (High Level Language) : उच्चस्तरीय भाषा को सुविधाजनक होने के लक्षणों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। ये भाषाएँ मनुष्य के बोलचाल एंव लिखने में प्रयुक्त होने वाली भाषाओं के काफी करीब है। इसके लिए एक ट्रांसलेटर (Translator) की आवश्यकता होती है। जो उच्चस्तरीय भाषा के प्रोग्राम (Program) को मशीन कोड में ट्राँसलेट (Translate) करता है। कुछ उच्चस्तरीय भाषाएँ निम्न हैं- फोरट्रान (Fortran), कोबोल (Cobol), बेसिक (Basic), पास्कल (Pascal), सी ++ (C++), जावा (JAVA) Sun Studio इत्यादि इसी क्षेणी की भाषाएँ है।

 (What is the use of Computer in Hindi) कम्प्यूटर के उपयोग

कम्प्यूटर एक पावरफुल मशीन हैं जिसका प्रयोग  लगभग हर क्षेत्र में होने लगा है। विभिन्न क्षेत्रों में कम्प्यूटर के उपयोग निम्नलिखित तरीके से किया जाता  हैं:

1. व्यवसाय (Business): कम्प्यूटर का उपयोग व्यापार करने के लिए अधिक प्रयोग किया जाने लगा है । आज  ke समय में ऐसा कोई दफ्तर नहीं होगा जिसमें  कम्प्यूटर का उपयोग (Use) नहीं होता होगा । कम्प्यूटर के आने से व्यापार करने का तरीका बिल्कुल बदल चूका है। कंप्यूटर के माध्यम से आप कहीं से भी अपने व्यापार को कर  सकते हैं। कम्प्यूटर का ज्यादातर प्रयोग  होने से  कार्यालय  सभी काम कुछ ही मिंटो में हो  जाता है। आप अपने कर्मचारियों का रिकार्ड, उत्पादन, बिक्री विवरण, स्टॉक आदि को कम्प्यूटर द्वारा बना तथा सम्भाल सकते हैं।

2. शिक्षा (Education): कम्प्यूटर का उपयोग होने से शिक्षा क्षेत्र में क्रांति सी आ गई है। अब हम इंटरनेट के माध्यम से कम्प्यूटर द्वारा किसी भी विषय की जानकारी घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। सिर्फ एक क्लिप पर हजारों कॉलेज यूनिवर्सिटिज के कोर्सेज की जानकारी कम्प्यूटर द्वारा पा सकते हैं तथा प्रवेश भी ले सकते हैं। आजकल तो सभी परीक्षाएं कम्प्यूटर द्वारा होने लगी हैं। और मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर और पावरपाइन्ट प्रजेन्टेशन ने कम्प्यूटर को विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी बना दिया है।

3. बैंक (Bank): बैंकिंग क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग अनेक कार्यों के लिए किया जाता है। पुराने जमाने के बही खाते और रजिस्टर की जगह अब कम्प्यूटर ने ले ली है। जैसे ए.टी.एम. द्वारा पैसे निकालना, रुपये गिनना इत्यादि कम्प्यूटर के द्वारा ही ये सारे कार्य सहजता से किए जा सकते हैं।
4. चिकित्सा (Medical): चिकित्सा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग एक वरदान है क्योंकि चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न शारीरिक रोगों का पता लगाने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर का उपयोग होने से मरीजों का रिकार्ड आसानी से बनाया तथा एक क्लिक से प्राप्त किया जा सकता है। आधुनिक युग में विशेष यंत्रों के माध्यम से विकलांगों की सहायता की जा रही है। विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग सी.टी. स्कैन, इ.सी.जी. एंव अन्य परि-चिकित्सीय परीक्षणों में किया जाता है।
5. मनोरंजन (Entertainment): कम्प्यूटर के जरिये इंटरनेट पर टी.वी. कार्यक्रम, मूवी, वीडियो गेम आदि देखें जा सकते हैं। कम्प्यूटर द्वारा संगीत सुना जा सकता है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के गेम्स और अन्य मनोरंजन सामग्री सरलता पूर्वक इंटरनेट से प्राप्त की जा सकती है।

6. सुरक्षा (Security): कम्प्यूटर का उपयोग रक्षा क्षेत्र में शुरुआत से ही हो रहा है। लेकिन आज इसके मायने बिल्कुल बदल गए हैं। सिर्फ एक कमांड द्वारा बड़ी-बड़ी मिसाइलें, परमाणु हथियार तथा सैटेलाइट को नियंत्रित किया जा सकता है। नए- नए हथियारों के डिजाइन भी कम्प्यूटर (Computer) द्वारा बनाए जा सकते हैं। सैनिकों, अपराधियों की सूची तथा हथियारों का रिकार्ड एवं उनका रख-रखाव भी कम्प्यूटर द्वारा किया जाता है।
7. वाणिज्य (Commerce): बैंक, बीमा, क्रेडिट कम्पनी, दुकान आदि में कम्प्यूटर का उपयोग अत्यधिक किया जाता है। आधुनिक युग में कम्प्यूटर के बिना वित्तीय लेन-देन करना आज असम्भव हो गया है।

8. मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecasting): आधुनिक युग में कम्प्यूटर के माध्यम से किसी भी स्थान की मौसम सम्बंधी जानकारी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
9. संचार (Communication): कम्प्यूटर के प्रयोग ने संचार क्षेत्र में इंटरनेट के प्रयोग को सम्भव बनाया है। आज फोर जी (4G) इंटरनेट को बच्चा-बच्चा प्रयोग कर रहा है। कम्प्यूटर ने हमारे काम करने का तरीका बिल्कुल बदल दिया है जो कार्य पहले आठ व्यक्ति करते थे। उसे कम्प्यूटर (Computer) अकेला ही तेजी और सहजता से कर देता है।

कम्प्यूटर का वर्गीकरण (CLASSIFICATION OF COMPUTERS IN HINDI)

कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of computer ) उसकी संरचना, कार्यप्रणाली, कार्यक्षमता एवं उसके आकार-प्रकार के आधार पर किया गया है। मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले कम्प्यूटर में पर्सनल कम्प्यूटर, नोटबुक कम्प्यूटर, पॉकेट कम्यूटर, लैपटॉप कम्प्यूटर, वर्कस्टेशन कम्प्यूटर, मैनफ्रेम कम्प्यूटर तथा सुपर कम्प्यूटर इत्यादि आते हैं।

कम्प्यूटर को बेहतर तरीके से समझने के लिए कम्प्यूटर के प्रमुख तीन वर्ग इस प्रकार हैं।

1. कार्यप्रणाली के आधार पर (According to Mechanism)

2. उद्देश्य के आधार पर (According to Purpose)

3. आकार के आधार पर (According to Size)

कार्यप्रणाली के आधार पर (According to Mechanism)

कार्यप्रणाली के आधार पर इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया हैः >

  1. एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) : एनालॉग कम्प्यूटर्स केवल एनालॉग कम्प्यूटर डाटा को ही प्रोसेस करने के लिए काम में आते हैं। एनालॉग डेटा आमतौर पर ब्रेक नहीं होते हैं (निरंतर अर्थ होता है) जैसे की दबाव, वोल्टेज आदि। यह किसी भौतिक मात्रा में निरंतर बदलाव को मापता है। उदाहरण के लिए- गाड़ी की गति, तापमान में परिवर्तन, वजन को वजन मशीन से मापतें हैं। एनालॉग कम्प्यूटर में डेटा को सीधे साधन से स्वीकार किया जाता है और उसके लिए किसी भी संख्या को कोड में बदलने की जरूरत नहीं होती। एनालॉग कम्प्यूटर को किसी भी प्रकार की भंडारण क्षमता की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वो सिंगल आपरेशन में ही डाटा की माप कर लेते हैं। इनपुट को प्रोसेस करने के बाद एनालॉग कम्प्यूटर का आउटपुट आम तौर पर एक लगातार सीरीज में होता है जैसे कार की स्पीडोमीटर की रीडिंग या फिर ग्राफ और चार्ट के रूप में।
  2. डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) : डिजिटल कम्प्यूटर- न्यूमेरिक के साथ-साथ नॉन-न्यूमेरिक डाटा को भी प्रोसेस कर सकता है। यह अर्थमेटिक ऑपरेशन को परफॉर्म कर सकता है। जैसे कि जोड़ना, घटाना, गुणा करना या फिर डिवीजन एवं इसके साथ सभी प्रकार के लॉजिकल ऑपरेशन्स भी । आज के समय में ज्यादातर उपलब्ध कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर ही होते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर का सबसे अच्छा उदाहरण एकाउंटिंग मशीन और कैलकुलेटर्स इत्यादि है।
  3. हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) : हाइब्रिड कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर एवं एनालेंग कम्प्यूटर का मिश्रण होता है। जब भी हम हाइब्रिड कम्प्यूटर को बात करते हैं तो हम उस विशेष प्रकार के सिस्टम की बात करते हैं जिसमें एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार के कम्प्यूटर की विशेषताएं मिलती हैं जैसे की यह एनालंग कम्प्यूटर की विशेषताओं से काम करता हो एवं डिजिटल कम्प्यूटर की तरह मेमोरी और शुद्धता रखता हो।

वास्तव में हाइब्रिड कम्प्यूटर को मुख्यतः विशेष प्रोग्राम के लिए काम में लाया जाता है। जहाँ पर एनालॉग एंड डिजिटल दोनों तरह का डाटा प्रोसेस होता है जिससे पेट्रोल पम्प पर मात्रा एवं मूल्य की जानकारी ली जा सके। अस्पताल के आई.सी.यू. (ICU) में एक एनालॉग डिवाइस को रोगी के रक्तचाप और तापमान को जाँचने के काम में लिया जाता है।

उद्देश्य के आधार पर (According to Purpose)

कम्प्यूटर को उद्देश्य के आधार पर निम्न श्रेणी में बाँट सकते हैं-

  1. सामान्य उद्देश्य (General Purpose) : यह कम्प्यूटर सामान्य उद्देश्य के लिए तैयार किये जाते हैं, इन कम्प्यूटर में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है। इन कम्प्यूटर का प्रयोग घरों एवं दुकानों में सामान्य कार्य हेतु जैसे-पत्र तैयार करना, दस्तावेज (Document) प्रिंट करना किया जाता है।
  2. विशेष उद्देश्य (Special Purpose) : यह कम्प्यूटर विशेष कार्य के लिए तैयार किए जाते हैं। इनका प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता है। अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, अनुसंधान एवं शोध, उपग्रह संचालन, यातायात नियंत्रण चिकित्सा, कृषि विज्ञान, आदि।

आकार एवं कार्य के आधार पर (According to Work & Size)

कम्प्यूटर को आकार एवं कार्य के आधार पर निम्न श्रेणियों में बौर सकते हैं।

  1. माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) : माइक्रो कम्प्यूटर को व्यक्तिगत कम्प्यूटर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक डिजिटल कम्प्यूटर है जो माइक्रोप्रोसेसर पर काम करता है। माइक्रो कम्प्यूटर व्यक्तिगत जरूरतों के लिए बनाया जाने वाला कम्प्यूटर है जो वर्ड प्रोसेसिंग (Word processing), डेस्कटॉप प्रकाशन (Desktop publishing) एवं लेखांकन जैसे काम करता है। इसमें मनोरंजन के लिए गेम खेलना, संगीत सुनना, इंटरनेट का प्रयोग और फिल्में देखने के लिए माइक्रो कम्प्यूटर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह कम्प्यूटर छोटे आकार एवं कम लागत के होते हैं।
  2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer): मिनी कम्प्यूटर मध्य आकार के बहु-उपयोगी (Multi-user) एवं प्रसंस्करण कम्प्यूटर होते हैं। बहु-प्रोसेसिंग (Multi processing) एक समय पर कई कार्य या क्रिया करने की प्रक्रिया है। मिनी कम्प्यूटर एक मध्यम श्रेणी का कम्प्यूटर है इसे मध्य श्रेणी सर्वर के नाम से भी जानते हैं। इसका उपयोग व्यापार, संगठनों में खातों के रखरखाव और वित्तीय डाटा के अनुप्रयोग के लिए उपयोग किया जाता है। मिनी कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर के साथ अनुकूल और अधिक शक्तिशाली हैं।

मेनप्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer) : मेनफ्रेम कम्प्यूटर बहुत बड़े आकार के होते हैं इनका आकार इतना बड़ा होता है जो की पूरे कमरे या फर्श को ढक लेता है। मेनफ्रेम बड़ी कम्पनियों में केंद्रीकृत सेवा देने के रूप में उपयोग किया जाता है। यह केंद्रीकृत कम्प्यूटिंग के सेवा उद्देश्य से डिजाइन किए जाते हैं। मेनफ्रेम बहुत महंगे कम्प्यूटर हैं। हजारों लोग एक समय में मेनफ्रेम का उपयोग कर सकते हैं। यह हर रोज लाखों लेन देन की प्रक्रिया कर सकता है। सरकारी संगठनों और बड़ी कम्पनियों में मेनफ्रेम कम्प्यूटर व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। IBAM System z10 मेनफ्रेम कम्प्यूटर का उदाहरण है।

सुपर कम्प्यूटर (Super Computer) : सुपर कम्प्यूटर बहुत तेज और आकार में बड़ा होता है। इनका इस्तेमाल सरकारी या किसी बड़े उद्देश्य के लिए किया जाता है। जैसे-अंतरिक्ष यात्रा, मौसम की जानकारी, सैन्य और वैज्ञानिक अनुसन्धान में प्रयोग किए जाते हैं। इनमें एक से अधिक सी.पी.यू. (C.P.U.) होते हैं जिससे इनकी गति में अधिक तेजी होती है ये कम्प्यूटर आकार में बहुत बड़े और सबसे महंगे होते हैं। भारत का सबसे पहला सुपर कम्प्यूटर परम 8000 है। यह 1, जुलाई 1991 में उन्नत कम्प्यूटर के विकास के लिए बनाया गया था।

 कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (GENERATIONS OF COMPUTER IN HINDI)

कम्प्यूटर को बनाने और उसमें अलग-अलग डिवाइसेस लगाना उन्हें और बेहतर बनाने की प्रक्रिया कम्प्यूटर जनरेशन (Generation of Computer) कहलाती हैं। कम्प्यूटर शुरूआती दौर में बहुत भारी, बड़े और महेंगे हुआ करते थे। इसमें बिजली की खपत भी काफी होती थी तथा इसकी स्टोर करने की क्षमता बहुत कम थी। बदलते समय के साथ-साथ कम्प्यूटर की तकनीक में भी बहुत बदलाव हुए, जैसे आकार-प्रकार, कार्यप्रणाली एवं कार्यक्षमता। इन बदलावों को हम कम्प्यूटर जनरेशन कहते हैं।

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी -वैक्यूम ट्यूब (1942-1955) (First Generation of Computer in Hindi)

प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में सर्व प्रथम वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) नामक तकनीक का प्रयोग किया गया था। इन वेक्यूम ट्यूत्र की वजह से इन कम्प्यूटर का आकार बहुत बड़ा होता था। इनका आकर एक कमरे जितना बड़ा था। कम्प्यूटर का आकार बड़ा होने के कारण इन कम्प्यूटरों को चलाने में बिजली की बहुत अधिक खपत होती थी।वेक्यूम ट्यूब बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करती थी तथा इन वैक्यूम ट्यूब की टूट फुट की सम्भावना अधिक रहती थी। प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होता था। इन कम्प्यूटर में प्रोग्राम को पंचकार्ड नामक डिवाइस में स्टोर किया जाता था। इन कम्प्यूटर्स में गणना करने की क्षमता बहुत कम थी

इन कम्प्यूटर्स में डाटा को स्टोर करने की क्षमता बहुत सिमित हुआ करती थी। इन कम्प्यूटर्स में मशीनों की भाषा का प्रयोग किया जाता था। यूनिवेक तथा ENIAC कम्प्यूटर पहली पीढ़ी के कम्प्यूटरो के उदाहरण हैं। जिसे 1945 में बनाया गया था। ENIAC कम्प्यूटर का वजन लगभग 30 टन था। इसमें 18000 वेक्यूम ट्यूब्स, 1500 रिले, हजारों रजिस्टेंस और कैपिस्टर्स का प्रयोग किया गया था। इसके संचालन में 200 किलोवाट बिजली का उपयोग किया जाता था। युनिवेक पहला कमर्शियल कम्प्यूटर (Commercial Computer) माना जाता है। जिसे 1951 में अमेरिकी जनगणना के लिए प्रयोग किया गया था।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर-ट्रॉजिस्टर (Transistor) का प्रयोग (1956-1963) (Second Generation of Computer in Hindi)

1947 में Transistor की खोज हुई थी। अब कम्प्यूटर में वेक्यूम ट्यूब (vacuum tube) के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाने लगा था। ट्रांजिस्टर का आकार वेक्यूम ट्यूब की अपेक्षा बहुत ही छोटा होता था और ट्रांजिस्टर की कार्य क्षमता भी अधिक थी। ये वेक्यूम ट्यूब की तुलना में सस्ते होते थे।ये कम गर्मी पैदा करते थे। इन कम्प्यूटर का आकार प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर की तुलना में बहुत छोटा हो गया था। इन कम्प्यूटरों को चलाने के लिए कम बिजली की आवश्यकता होती थी।

ये कम्प्यूटर प्रथम – पीढ़ी के मुकाबले अधिक तेज थे। इन कम्प्यूटरों में memory के लिए magnetic drum के स्थान पर magnetic core का प्रयोग किया गया था। कम्प्यूटर्स में secondary storage के लिए punchcard के स्थान पर magnetic tape और disk का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी में FORTRAN, COBOL जैसे High Level Language का अविष्कार हआ। इन Languages में English के अक्षरों का प्रयोग किया गया था।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) (1964- 1971) (Third Generation of computer in Hindi)

एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) या I.C. के विकास के साथ ही आधुनिक कम्प्यूटर की तीसरी पीढ़ी का जन्म हुआ। इन कम्प्यूटर में ट्रॉजिस्टरों का स्थान इंटीग्रेटिड सर्किट (I.C.) ने ले लिया था। (I.C.) बहुत सारे ट्रांजिस्टरों, रजिस्टरों और केपिस्टरों का संग्रहित रूप होता है। I.C. सिलिकॉन नामक पदार्थ से बनाई जाती है इसमें एल्युमीनियम, लोहा, पोटेशियम जैसे पदार्थ होते हैं जो इसकी कार्य क्षमता को कई गुणा बढ़ाते है।

I.C. के प्रयोग से आधुनिक कम्प्यूटर एक कमरे से निकलकर अब एक टेबल पर आ गया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में अब ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा था। जिसके कारण कम्प्यूटर अधिक तेज हो गया था और इसके आंतरिक कार्य स्वचालित हो गए थे। इसके साथ ही high level language में अब नई-नई भाषाओं का विकास होने लगा था जैसे- IC जिसका पूरा नाम Integrated Circuit है।.

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर-माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) (Fourth Generation of Computer in Hindi)

सबसे पहले माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) का आविष्कार 1970 में हुआ था। माइक्रोप्रोसेसर के निर्माण के साथ ही कम्प्यूटर युग में एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव हुआ। अब I.C. का स्थान माइक्रोप्रोसेसर ने ले लिया था। माइक्रोप्रोसेसर जिसे Large Scale Integrated Circuit का नाम दिया गया माइक्रोप्रोसेसर में एक छोटी सी चिप में लाखो ट्रॉजिस्टरो को सूक्ष्म रूप से समाहित किया गया

लाखो ट्रांजिस्टरों से निर्मित इस चिप को ही माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया। माइक्रोप्रोसेसर के प्रयोग से निर्मित कम्प्यूटर को माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाने लगा था। दुनिया का सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर MITS नाम की प्रसिद्ध कम्पनी ने बनाया था। इंटीग्रेटेड सर्किट I.C. की खोज से ही आगे चलकर माइक्रोप्रोसेसर के आविष्कार का रास्ता साफ हुआ। माइक्रोप्रोसेसर के आविष्कार से पहले C.P.U अलग अलग कई इलेक्ट्रानिक डिवाइसों को जोड़कर बनाए जाते थे। आज दुनिया में दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर बनाने वाली कम्पनियाँ Intel और AMD हैं।

इस पीढ़ी में अब कोर मेमोरी के स्थान पर सेमीकंडक्टर पदार्थ से बनी मेमोरी का प्रयोग किया जाने लगा था। जो आकार में बहुत छोटी होती थी और इसकी गति बहुत तेज होती थी। इस पीढ़ी में अब डेटाबेस कार्य करने के लिए सरल सॉफ्टवेयर का निर्माण आरम्भ हो गया था जैसे-स्प्रेडशीट आदि।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर1990 से वर्तमान-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Fifth Generation of Computer  in Hindi )

पांचवीं पीढ़ी  के कम्प्यूटर (Fifth Generation of Computer) बहुत ही विकसित और कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस जनरेशन के कम्प्यूटर्स में खुद की क्षमता विकसित की जा रही है। अब कम्प्यूटर सभी प्रकार के क्षेत्र में काम करने के लिए विकसित किया जा रहा है। आज के कम्प्यूटरों को सूचनाओं के आदान प्रदान कि लिए इन्टरनेट के माध्यम से नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है।

आज कम्प्यूटर का आकार दिन प्रतिदिन छोटा होता जा रहा हैं। आज कम्प्यूटर टेबल से उठकर इन्सान की हथेली पर आ गया है। कम्प्यूटर के आकारों के नाम के आधार पर कम्प्यूटर को नाम दिए जा रहे हैं। जैसे-डेस्क टॉप, लैप टॉप, आदि। आज कुछ कम्प्यूटर विज्ञान की शाखाएँ मनुष्य की तरह व्यव्हार करने वाले कम्प्यूटर्स का निर्माण कर रही हैं। जिन्हें रोबोट कहा जाता है। Multimedia technology का निर्माण भी इसी पीढ़ी में हुआ जिसमें मुख्य रूप से चित्र (Graphics), ध्वनि (Sound), तथा Animation आदि हैं।

Input Device of Computer In Hindi (इनपुट डिवाइस क्या है)

वह डिवाइसेज जिनके माध्यम से डाटा को कम्प्यूटर में पहुँचाया जाता है उन्हें इनपुट डिवाइस (Input Device) कहा जाता है। कुछ सामान्यतः प्रयोग कि जाने वाली इनपुट डिवाइसेज निम्नलिखित हैं:

1. ‘की’-बोर्ड (Keyboard) : ‘की’ बोर्ड एक इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से हम कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं। ‘की’- बोर्ड देखने में टाइपराइटर की तरह ही होता है किन्तु इसमें थोड़ा अंतर है। इसमें टाइपराइटर की अपेक्षा कुछ कीज (Keys) अधिक होती हैं। इसका मुख्य उपयोग टेक्सट लिखने के लिए किया जाता है। इसके अलावा माउस (Mouse) की तरह भी ‘की’ बोर्ड (Key-Board) का उपयोग (Use) किया जाता है। यह भी एक प्रकार से बहुक्रियात्मक डिवाइसेज होता है जो न सिर्फ लिख सकता है बल्कि कम्प्यूटर को नियंत्रित करने मे भी उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान समय में कुछ विभिन्न प्रकार के ‘की’ बोर्ड (Key Board) उपयोग (use) किए जाते है। जैसे – ^QWERTY * DVORAK एवं AZERTY आदि।

2. माउस (Mouse): माउस (Mouse) एक इनपुट डिवाइस है। जिसका प्रयोग चित्र या ग्राफिक्स (Graphics) बनाने के साथ-साथ बटन (Button) या मेन्यू (Menu) पर क्लिक करने के लिए किया जाता है। इसमे सामान्यतः दो या तीन बटन (Button) होते हैं जिनकी सहायता से कम्प्यूटर को निर्देश दिए जाते हैं। माउस (Mouse) प्रायः तीन प्रकार के होते हैं:

1. मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

2. आप्टिकल माउस (Optical Mouse)

3. कोर्डलैस माउस (Cordless Mouse)

3. ट्रैकबाल (Trackball) : ट्रैकबॉल एक प्रकार की प्वांइटिंग इनपुट डिवाइस (Pointing Input Device) है। इसका इस्तेमाल ज़्यादातर नोटबुक (Notebook) और लैपटॉप (Laptop) पर किया जाता है। इसकी ऊपरी सतह पर एक बॉल लगी रहती है। जैसे-जैसे आप ट्रैकबॉल (Trackball) की बॉल (Ball) को मूव (Move) करेंगे वैसे-वैसे आपका प्वाइंटर (Pointer) भी मूव (Move) करेगा। इसका प्रयोग करते समय इसमें पूरे उपकरण को चलाने की आवश्यकता नहीं होती है।

4. टच स्क्रीन (Touch Screen) : आजकल मार्किट में कई प्रकार की प्रोद्योगिकी (Technology) आ गई हैं उन्हीं में से एक है टच स्क्रीन। यह एक प्रकार से इनपुट और आउटपुट डिवाइस है जो आमतौर पर किसी सूचना प्रसंस्करण प्रणाली के इलेक्ट्रानिक विजुअल डिस्प्ले के शीर्ष पर स्थित होता है। इसे बिना माउस (Mouse), बिना की-बोर्ड (Key Board) और बिना की पैड का प्रयोग किये सीधे ही अपनी उंगलियों (Fingers) का उपयोग (Use) करके आसानी से प्रयोग कर सकते हैं।

5.  जॉयस्टिक (Joystick): जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है  जो सभी दिशाओं में मूव करती है। जॉयस्टिक का प्रयोग अक्सर विडियो गेम्स खेलने के लिए किया जाता है। इसको आप दाँए-बाँए, ऊपर और नीचे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। जॉयस्टिक के द्वारा कर्सर को स्क्रीन पर वांछित स्थान पर कंट्रोल किया जा सकता है।

आउटपुट डिवाइस क्या है (Output Device of Computer in Hindi)

आउटपुट डिवाइस (Output Device) हार्डवेयर (Hardware) का एक अवयव या कम्प्यूटर का मुख्य भौतिक भाग है जिसे छु कर महसूस किया जा सकता है। इसमे कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न आउटपुट को उपयोगकर्ता तक भेजने के लिए आउटपुट डिवाइस (Output Device) का प्रयोग किया जाता है। कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं:

1. मॉनिटर (Monitor)

2. प्रिंटर (Printer)

3. प्लॉटर (Plotter)

मॉनिटर क्या है? (What is monitor in Hindi)

यह एक वीडियो स्क्रीन है जो देखने में टी.वी. की तरह ही होता है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit) भी कहा जाता हैं। ये सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है। मॉनिटर (Monitor) प्रायः दो प्रकार के होते हैं:

1. मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर (Monochrome Display Monitor) : मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर टेक्सट को डिस्प्ले करने के लिए एक ही रंग का प्रयोग करता है। इसलिए इसे Single Colour Display कहते हैं। यह मॉनिटर आउटपुट को Black and White रूप में प्रदर्शित करता है।

2. कलर डिस्प्ले मॉनिटर (Colour Display Monitor) : कलर डिस्प्ले मॉनिटर RGB (Red & Green & Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है। कलर डिस्प्ले मॉनिटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगो में आउटपुट को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता है।

कुछ प्रमुख प्रयोग में आने वाले मॉनिटर निम्नलिखित हैं:

1. सी.आर.टी. मॉनिटर (CRT Monitor)

2. फ्लैट पैनल मॉनिटर (Flat Panel Monitor)

3. लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी-लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले)

4. लाइट एमीटिंग डायोड (LED-Light Emitting Diode)

प्रिंटर क्या है (What is Printer in Hindi )

प्रिंटर एक आनलाइन आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त डाटा और सूचना को किसी कागज पर छापना है। यह सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) में परिवर्तित करता है। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:

1. इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) : इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) की यह विधि मुख्य रुप से टाइपराइटर (Typewriter) विधि के समान होती हैं। इसमें स्याही लगे हुई रिबन (Ribbon) को एक हैमर अथवा प्रिंट हाइड (Print Head) द्वारा कागज पर दबाया जाता है। जिससे इम्पैक्ट प्रिंटिंग में अक्षर कागज पर छप जाते हैं। इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) की अनेक विधियाँ हैं, जैसे-

(A) डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy wheal Printer)

(B) लाइन प्रिंटर (Line Printer)

(C) ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)

(D) डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)

(e) चेन प्रिंटर (Chain Printer)

2. नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer): नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की विशेषता यह है की इसकी काम करने की प्रक्रिया काफी शांत होती है इस प्रिंटिंग में प्रिंट हैड या कागज (Paper) के बीच कोई सम्पर्क नहीं होता है। बल्कि इस प्रिंटर में कागज पर अक्षर या इमेज प्राप्त करने के लिए स्याही की फुहार कागज पर छोड़ते हैं। इसके द्वारा उच्च क्वालिटी के ग्राफिक्स और अच्छी किस्म के अक्षरों को छापा जाता है। इन प्रिंटरों की कीमत इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer) से अधिक होती है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर (Non- Impact Printer) के कई प्रकार हैं:

(A) लेजर प्रिंटर (Lazer Printer)

(बी) इंकजेट प्रिंटर

(C) फोटो प्रिंटर (Photo Printer)

(D) पोर्टेबल प्रिंटर (Portable Printer)

(E) थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer)

प्लॉटर क्या है (What is Plotter in Computer in Hindi)

प्लॉटर (Plotter) एक ऐसा आउटपुट डिवाइस है जो कम्प्यूटर निर्देशित पेन द्वारा कागज पर बड़ी ड्राइंग या चित्र का निर्माण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। प्लॉटर (Plotter) एक ड्राइंग को इंच प्रति सेकंड में प्रिंट करता है इसमे ड्राइंग बनाने के लिए पेन, मार्कर, पेंसिल आदि राइटिंग टूल्स (tools) का प्रयोग होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने कंप्यूटर के सभी टॉपिक को अच्छे से कवर किया है जो आप सभी को अच्छा भी लगा होगा अगर आप को हमारे इस लेख में कोई कमी महसूस होती है तो आप हमे कमेंट बॉक्स में बता सकते है और हमारे इस लेख  कंप्यूटर क्या है ? What is computer in Hindi, आपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे ताकि उन्हें भी हेल्प मिल सके

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