एटीएम (Automatic Teller Machine) एक ऑटोमेटिक टेलर मशीन है, जिसे ऑटोमेटिक बैंकिंग मशीन और कैश प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप एटीएम में सही जानकारी देते हैं, तो आप आसानी से एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं और बैंक में पैसे जमा भी कर सकते हैं।
आज का हमारा यह लेख ATM से संबंधित है, जिसमें आपको एटीएम क्या है और ATM का फुल फॉर्म (ATM Full Form) के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि एटीएम कैसे काम करता है, और इसके फायदे क्या हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं।
एटीएम क्या है ? ( What is ATM in Hindi)
एटीएम एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसे बैंकिंग के क्षेत्र में लेनदेन के लिए इस्तमाल किया जाता है । एटीएम का यूज़ बैंक के कस्टमर द्वारा बैंक में से पैसे निकालने व् जमा करने के लिए किया जाता है । एटीएम के माध्यम यूजर अपने बैंक अकाउंट से पैसे निकाल सकता है .
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एटीएम क्या है – ATM Full Form in Hindi |
ATM के माध्यम से अपने करंट बैलेंस की जानकारी प्राप्त कर सकता है । एटीएम का यूज़ करने के लिए बैंक द्वारा अपने कस्टमर को एक प्लास्टिक का कार्ड दिया जाता है । जिसमे कस्टमर की सारी जानकारी होती है । एटीएम में से ग्राहक को पैसे निकालने के लिए एक फोर डिजिट का पिन भरना होता है । इसके बाद वह एटीएम में से पैसे निकाल सकता है ।
एटीएम का अर्थ है ऑटोमेटिक टेलर मशीन है । इसे हम हिंदी में स्वचालित गणक मशीन भी बोलते है है। इसे ऑटोमेटिक बैंकिंग मशीन तथा कैश प्वाइंट (Cash Point) के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1960 के दशक में ए.टी.एम. को बैंकोग्राफ के नाम से जाना जाता था। ए.टी.एम. का सर्वप्रथम प्रयोग 27 जून 1967 में लंदन के बार्केल बैंक ने किया था। ए.टी.एम. के अविष्कारक जॉन शेफर्ड बैरन थे।
शुरुआत में बैरन ए.टी.एम. पिन छह अंकों का करना चाहते थे लेकिन अपनी पत्नी के अनुरोध पर उन्होंने बाद में इसे चार अंकों का कर दिया था। आज कल चार अंकों का पिन नम्बर ही प्रचलन में है। भारत में ए. टी.एम. की सुविधा वर्ष 1987 में हुई थी। इसे मुम्बई में लगाया गया था।
एटीएम का फुल फॉर्म (ATM Full Form in Hndi )
ATM Full form) एटीएम का फुल फॉर्म होता है – Automated Teller Machine
ATM वर्क कैसे करता है
एटीएम एक प्रकार का डाटा टर्मिनल होता है। जिसमें मॉनिटर, की बोर्ड, माउस जैसे इनपुट तथा आउटपुट डिवाइस लगे होते हैं। यह होस्ट प्रोसेसर से जुड़ा होता है। होस्ट प्रोसेसर बैंक और एटीएम के मध्य एक कड़ी का काम करता है। इसके लिए इंटरनेट (Internet) की मदद ली जाती है। उपयोगकर्ता द्वारा जब एटीएम कार्ड मशीन में डाला जाता है तब यह तुरंत बैंक के होस्ट प्रोसेसर से जुड़ जाता है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को बैंक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है उपभोक्ता अपने खाते से सरलता से पैसे निकाल सकता है।
एटीएम उपयोगकर्ता को ध्यान रखने वाली बातें
1. प्रत्येक ग्राहक के डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पिछले हिस्से में एक विशेष प्रकार की मैग्नेटिक स्ट्रिप लगी होती है। जिसमें उसकी पहचान संख्या तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां कोड के रूप में होती हैं।
2. जब उपभोक्ता कार्ड को ए.टी.एम. के कार्ड रीडर में डालता है। तो मैग्नेटिक स्ट्रिप में छिपी जानकारियों को कार्ड रीडर पढ़ लेता है।
3. यह जानकारी जब होस्ट प्रोसेसर के पास पहुँचती है तो वह ग्राहक के बैंक से ट्रॉजेक्शन का रास्ता साफ करता है।
4. जब ग्राहक कैश निकालने का विकल्प चुनता है तो होस्ट प्रोसेसर और उसके बैंक अकाउंट के बीच एक इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर प्रक्रिया होती है।
5. इस प्रक्रिया के पूरा होते ही होस्ट प्रोसेसर ए.टी.एम. को अप्रूवल कोड भेजता है। यह कोड एक तरह से मशीन को पैसा देने के आदेश के समान होता है।
6. पैसे निकालने पर नगदी की जाँच करें तथा त्रुटि होने पर बैंक में सम्पर्क करें।
7. अपना पासवर्ड कभी भी किसी को ना बताएं तथा ए.टी.एम. का प्रयोग करते समय सर्तकता बरतें।
Automatic Teller Machine के फायदे
1. कहीं से भी पैसे निकाल और जमा कर सकते है ।
2. एटीएम के कारण हमारा काम आसान हो गया हमे बैंक में जाकर लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ता है ।
3. अकाउंट बैलेंस प्राप्त कर सकते है ।
4. ATM पिन बदल सकते है ।
5. कॅश विथ्रोअल कर सकते है ।